हर्ष पर्वत : शेखावाटी अंचल की शान है हर्ष पर्वत की वादियां, बादलों से बातें करती है यहां की ऊंचाइयां

हर्ष पर्वत। शेखावाटी के हृदय सीकर जिले से महज 16 किमी दूरी पर स्थित है हर्षनाथ मंदिर जो की 3100 फीट ऊंचे पर्वत पर स्थित है यह पर्वत शेखावाटी की शान के नाम से जाना जाता है इस हर्षनाथ पर्वत पर प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी हर्षनाथ मंदिर में धोक लगाने हेतु आते हैं इसी के साथ ही यह शेखावाटी का सबसे खूबसूरत पर्वत माना जाता है जिसके कारण यहां पर दूर-दूर से लोग घूमने का लुफ्त उठाने के लिए यहां पर पहुंचते हैं।

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हर्षनाथ मंदिर सीकर जिले से 16 किलोमीटर दूर हर्ष गांव के हर्ष पर्वत पर स्थित है यह मंदिर पौराणिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है इस पर्वत का नाम हर्ष पर्वत होने से भी कुछ तथ्य जुड़े हुए हैं पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि कुछ राक्षसों ने मिलकर इंद्र व अन्य देवताओं को स्वर्ग लोक से निकाल दिया था जिसके बाद भगवान शिव ने उनका संघार किया था जिससे सभी देवी देवता बहुत खुश हुए थे तथा उन्होंने हर्षोल्लास से इस पर्वत पर भगवान शिव की आराधना की थी जिसके कारण इस पर्वत का नाम हर्ष पर्वत पड़ गया।

हर्ष पर्वत

संवत 1018 में शुरू हुआ था मंदिर कार्य

हर्ष पर्वत पर एक शिलालेख मिला था जिसे अब राजकुमार हरदयाल सिंह राजकीय संग्रहालय में रखा हुआ है। शिलालेख के अनुसार हर्ष पर्वत पर बने हुए हर्षनाथ मंदिर को चौहान वंशज की धरोहर बताया गया है जिसके कारण यह है चौहान वंशज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिलालेख के अनुसार हर्ष पर्वत पर बने हुए हर्षनाथ मंदिर का निर्माण कार्य संवत 1018 में चौहान राजा सिंह राज द्वारा शुरू करवाया गया जिसे संवत 1030 में चौहान वंश के उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज द्वारा पूरा करवाया गया।

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84 मंदिर थे पर्वत पर

राजकीय संग्रहालय में स्थित हर्ष पर्वत के शिलालेख पर बताया गया है कि इस पर्वत पर चौरासी मंदिर उपस्थित थे। यहां उपस्थित सभी मंदिर खंडार अवस्था में तब्दील हो गए हैं जो पहले गौरव पूर्ण अवस्था में रहे होंगे। इतिहासकार बताते हैं कि औरंगजेब के शासनकाल में सन 1679 ई. में औरंगजेब के आदेश पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबूझकर इस हर्ष पर्वत पर उपस्थित सभी मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया गया।

हस्तकला से निर्मित है मंदिर

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हर्षनाथ मंदिर पुराने समय में की जाने वाली हस्तकला की कारीगिरी से बनाया गया है इसकी नकाशी बहुत ही सुंदर बनाई गई है जो दर्शनार्थियों को अपनी और आकर्षित करती है इस मंदिर में दीवारों पर विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं का चित्रण किया गया है जो बहुत ही सुंदर दृश्य है लेकिन औरंगजेब के सेनानायक के हमले के बाद इसकी दीवारों पर बनी हुई मूर्तियों को खंडित कर दिया गया है।

पंचमुखी शिव है विराजमान

शेखावाटी कि हर्ष पर्वत पर बने हुए विशाल हर्षनाथ मंदिर में भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति विराजमान है तथा इस मंदिर में बनी हुई भगवान शिव की सवारी नंदी की संगमरमर से निर्मित मूर्ति भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है इसके साथ ही यहां की ऊंचाइयों पर्यटकों को बहुत ही सुंदर लगती है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पर आते हैं।

भैरव मंदिर भी स्थित

सीकर जिले के हर्ष पर्वत पर स्थित पंचमुखी शिव मंदिर के दक्षिण दिशा में भैरव मंदिर भी स्थित है जोकि एक गुफा में स्थित है इस मंदिर में 16 भुजा वाली दुर्गा माता की प्रतिमा भी स्थित है जिसके प्रत्येक हाथ में अलग-अलग प्रकार के अस्त्र शस्त्र दिखाएं गए हैं इसके अलावा यहां पर भैरव नाथ की दो मूर्तियां विराजमान है जिसमें एक काला भैरव तथा दूसरी धोला भैरव की मूर्तियां है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

जिले में आए हुए पर्यटकों के लिए हर्ष पर्वत पर स्थित हर्षनाथ मंदिर सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है इसकी ऊंचाई राजस्थान के माउंट आबू से थोड़ी ही कम है जिसके कारण यहां पर हजारों पर्यटक घूमने के लिए आते रहते हैं यहां पर ठंडे मौसम में बादल पहाड़ से भी नीचे आ जाते हैं जिसके कारण यहां का नजारा देखने लायक होता है।

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सर्दियों में यहां पर अत्यधिक धुंध छाई रहती है जिसके कारण यहां का नजारा इंद्रलोक में जैसी रचना दिखाई गई है वैसी ही यहां पर प्रतीत होती है जिससे यहां पर आने वाले पर्यटक बहुत ही उत्साह के साथ आनंद प्राप्त करते हैं तथा दूर-दूर से यहां पर फोटोशूट करवाने व वीडियोग्राफी के लिए आते रहते हैं।

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